बच्चों को आमतौर से उनके अभिभावक अच्छे उपदेश देते रहते हैं और उन्हें राम, भरत एवं श्रवण कुमार देखना चाहते हैं, पर कभी यह नहीं सोचते कि क्या हमने अपनी वाणी एवं आकांक्षा को अपने में आवश्यक सुधार करके इस योग्य बना लिया है कि उसका प्रभाव बच्चों पर पड़ सके ? ''आनंद तो मनुष्य का अपना स्वरूप है। आनंद तो उसके अंदर ही है। फिर भी मनुष्य आनंद को अपने बाहर ही खोजता है। मनुष्य धन-संपत्ति, साधन आदि में आनंद खोजता है।
''Children are usually given good instructions by their parents and want to see them Ram, Bharat and Shravan Kumar, but never think whether we have made our speech and aspiration capable by making necessary improvements in ourselves that its effect will be given to the children. But could you? "Pleasure is the nature of man. The joy is within him. Yet man seeks happiness outside himself. Man seeks pleasure in wealth, means, etc.
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नास्तिकता की समस्या का समाधान शिक्षा व ज्ञान देने वाले को गुरु कहते हैं। सृष्टि के आरम्भ से अब तक विभिन्न विषयों के असंख्य गुरु हो चुके हैं जिनका संकेत एवं विवरण रामायण व महाभारत सहित अनेक ग्रन्थों में मिलता है। महाभारत काल के बाद हम देखते हैं कि धर्म में अनेक विकृतियां आई हैं। ईश्वर की आज्ञा के पालनार्थ किये जाने वाले यज्ञों...
मर्यादा चाहे जन-जीवन की हो, चाहे प्रकृति की हो, प्रायः एक रेखा के अधीन होती है। जन जीवन में पूर्वजों द्वारा खींची हुई सीमा रेखा को जाने-अनजाने आज की पीढी लांघती जा रही है। अपनी संस्कृति, परम्परा और पूर्वजों की धरोहर को ताक पर रखकर प्रगति नहीं हुआ करती। जिसे अधिकारपूर्वक अपना कहकर गौरव का अनुभव...