मनोमय स्थिति विचारशील प्राणियों की होती है। यह और भी ऊँची स्थिति है। मननात् -मनुष्यः। मनुष्य नाम इसलिए पड़ा कि यह मनन कर सकता है। मनन अर्थात चिन्तन। या पशु-पक्षियों से ऊँचा स्तर है। इस पर पहुँचें हुए जीव को मनुष्य संज्ञा में गिना जाता है। कल्पना, तर्क, विवेचना, दूरदर्शिता जैसी चिंतनात्मक विशेषताओं के सहारे औचित्य-अनौचित्य का अन्तर करना संभव होता है। स्थिति के साथ तालमेल बिठाने के लिए इच्छाओं पर अंकुश रख सकना इसी आधार पर संभव होता है।
The mental state is that of thinking beings. This is an even higher position. Mananat - man. Man got the name because he could meditate. Contemplation means contemplation. Or a higher level than animals and birds. The creature reached on this is counted as a human noun. With the help of reflective features like imagination, reasoning, reasoning, foresight, it is possible to differentiate between justification and impropriety. It is possible on this basis to control desires to keep pace with the situation.
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नास्तिकता की समस्या का समाधान शिक्षा व ज्ञान देने वाले को गुरु कहते हैं। सृष्टि के आरम्भ से अब तक विभिन्न विषयों के असंख्य गुरु हो चुके हैं जिनका संकेत एवं विवरण रामायण व महाभारत सहित अनेक ग्रन्थों में मिलता है। महाभारत काल के बाद हम देखते हैं कि धर्म में अनेक विकृतियां आई हैं। ईश्वर की आज्ञा के पालनार्थ किये जाने वाले यज्ञों...
मर्यादा चाहे जन-जीवन की हो, चाहे प्रकृति की हो, प्रायः एक रेखा के अधीन होती है। जन जीवन में पूर्वजों द्वारा खींची हुई सीमा रेखा को जाने-अनजाने आज की पीढी लांघती जा रही है। अपनी संस्कृति, परम्परा और पूर्वजों की धरोहर को ताक पर रखकर प्रगति नहीं हुआ करती। जिसे अधिकारपूर्वक अपना कहकर गौरव का अनुभव...