ज्ञान अकेला अपूर्ण और अधूरा है। कर्मकुशलता के अभाव में कथनी और करनी में अंतर आने लगता है। श्रावणी पर्व अपने ज्ञान को, कर्म की शक्ति को सृजन की प्रेरणा देने वाला पर्व है। हमारा ज्ञान वाणी से नहीं आचरण से व्यक्त हो। हमारी शक्ति किसी को दबाने, झुकाने या निरर्थक कार्यों में नहीं सृजन में लगे। श्रावणी पर्व की पृष्ठभूमि में जो पौराणिक कथा है, विष्णु की नाभि से कमल बेल का निकलना और उसमें से ब्रम्हा का अवतरण होना तथा सृष्टि का निर्माण करना, वही अर्थ है और उसमे हमें सृजन की, निर्माण की ही प्रेरणा लेनी चाहिए।
Knowledge alone is incomplete and incomplete. In the absence of skill, there is a difference between words and deeds. Shravani festival is the festival that inspires the creation of one's knowledge and the power of action. Our knowledge should not be expressed by speech but by conduct. Our energy should not be used to suppress, bow down or create useless things. The mythological story in the background of Shravani festival, the emergence of a lotus vine from the navel of Vishnu and the incarnation of Brahma and the creation of the universe, is the same meaning and in that we should take inspiration of creation itself.
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नास्तिकता की समस्या का समाधान शिक्षा व ज्ञान देने वाले को गुरु कहते हैं। सृष्टि के आरम्भ से अब तक विभिन्न विषयों के असंख्य गुरु हो चुके हैं जिनका संकेत एवं विवरण रामायण व महाभारत सहित अनेक ग्रन्थों में मिलता है। महाभारत काल के बाद हम देखते हैं कि धर्म में अनेक विकृतियां आई हैं। ईश्वर की आज्ञा के पालनार्थ किये जाने वाले यज्ञों...
मर्यादा चाहे जन-जीवन की हो, चाहे प्रकृति की हो, प्रायः एक रेखा के अधीन होती है। जन जीवन में पूर्वजों द्वारा खींची हुई सीमा रेखा को जाने-अनजाने आज की पीढी लांघती जा रही है। अपनी संस्कृति, परम्परा और पूर्वजों की धरोहर को ताक पर रखकर प्रगति नहीं हुआ करती। जिसे अधिकारपूर्वक अपना कहकर गौरव का अनुभव...